इस साझा खेती की उपज उसी संस्था को बेचना अनिवार्य होगा।
4.
आर्थिक रूप से विस्थापित लोगो में खेतिहर मजदूर, एवं साझा खेती करने वाले, खैरा आदिवासी एवं दलित शामिल हैं।
5.
उनकी अन्तिम माँग साझा खेती हो सकती है, न कि ज़मीन का एक छोटा-सा टुकड़ा, जो न तो उन्हें एक बेहतर ज़िन्दगी दे सकता हो और न ही चैन और सुक़ून।
6.
प्रस्तावित कानून में यह प्रावधान किया जा रहा है कि देश की किसी भी निजी संस्था के साथ राज्य के एक या किसानों का समूह, कृषि सहकारी समिति अथवा कृषि समिति साझा खेती के लिए समझौता कर सकतै हैं।